Sunday, July 17, 2011

मुंडे ओर गडकरी की टस्सल का इतिहास

मुंडे ओर गडकरी की टस्सल का इतिहास


2004 मे निती गडकरी जब महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्षपद पर बैठे तो गडकरी ने पार्टी हेडकोर्टर का स्लोगन बदल दिया ...बदलाहुवा स्लोगन था , “सबसे पहले देश , फिर पार्टी ओर उसके बाद मै” आज इस मै को लेकर ....गोपीनाथ मुंडे और भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के बीच संघर्ष चरण पर पहुंच चुका हैं। कभी महाराष्ट्र मे बीजेपी के सर्वेसर्वा के तौर पर जाने वाले गोपीनाथ मुंडे के गडकरी ने ऐसे पर कतरे कि मुंडे को अब राजनीतिक पुनर्वास के लिए फिर राज्य की राजनीति में वापस लौटना पड़ सकता हैं। डूबते को तिनके का सहारा, कुछ यहीं हाल हैं गोपीनात मुंडे का, जो अपने पुनर्वास के लिए पार्टी से कुछ भी ‘एडजस्टमेंट’ के लिए तैयार हैं। समझौते से पहले मुंडे शुक्रवार को अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पार्टी के खिलाफ अपनी नाराजगी को जगजाहिर कर दिया।

मुंडे ने कहा, मै लोगोमे से चुनकर आता हु , ओरो की तरहा नही , ‘मैं बडा नेता नहीं हूँ, एक सामान्य कार्यकर्ता हूँ, अगर नेता होता तो मेरी स्थिति ऐसी नहीं होती। मुंडे ने बीना बोले गडकरी पर ताना कसा था । गडकरी आज तक महाराष्ट्र के विधानसभा मे लोगो मे से चुनकर नही पोहचे है । साप है मुंडे इसी लीये लोक नेता के तौर पर जाने जाते है ।

महाराष्ट्र के सबसे कद्दावर लोक नेता गोपीनाथ मुंडे अब अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए जूझ रहे हैं। कभी विलासराव देशमुख से मुलाकात तो कभी उद्धव ठाकरे से, कभी महाराष्ट्र की राजनिति में वजन खो चुके छगन भुजबल और प्रदेश अध्यक्ष मधुकर पिचड से मुलाकात तो कभी जो खुद अपने लिए राजनितिक जमीन तलाश रहे हैं ऐसे रामदास आठवले से मदद की गुहार।

मुंडे की बेटी पंकजा ही मुंडे की विरासतदार है । पंकजा विधानसभी कि संदस्य है मुंडे के परळी चुनावक्षेत्र से । पर मुंडे परिवार के खस्ताहाल.... प्रमोद महाजन के निधनसेही शुरू हो गये थे ।
एक वक्त था जब महाराष्ट्र बीजेपी मे मुंडे- महाजन की तुती बोला करती थी । मुंडे का आदेश आखरी समछा जाता था । तब गडकरी एक मामुली विधायक ओर मंत्री हुवा करते थे । गडकरी मुंडे से मुलाकात के लीये कतार मे हुवा करते थे , मुंडे ओर महाजन मिलकर गडकरी को दरकिनार किये हुवे थे । पर आज वक्त बदल गया है । गडकरी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष है । साफ है की कुछ साल पहले अपने आदेशोपर काम करने वाला पार्टी का एक विधायक आज गोपिनाथ मुंडे के बॉस बन गया है ।

आयीये एक नजर डालते है दोनेकी राजनितीक यात्रापर ...

1978 ने पहिलीबार महाराष्ट्र वि्धानसभा का चुनाव लढा पर हार गये । इसके बाद बीड जीला परिषद के सदस्य बने ।
1980 मे महाराष्ट्र बीजेपी मे सक्रमण का वक्त था , वसंतराव भागवत ने इसी समय पिछडे वर्ग को साख लेकर राजनिती करने की नयी राजनितीक संकल्पना रखी नाम था माधव ..... यानी माळी , धनगर , ओर वंजारी समाज को साथ लेकर आगे बढने की नीती ... मुंडे वंजारी समाज का प्रतिनीधीत्व करते थे । इसी बदलाव की धारा मे मुंडे 1980 मे महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य बने .....

मुंडे महाराष्ट्र विधानसभा मे पोहच चुके थे पर गडकरी अभी भी नागपुर की गलीयारो मे संघ के सेवक के रुप मे काम कर रहे थे । दुसरी तरफ संघ के रास्ते बीजेपी मे प्रमोद महाजन ने अपनी पहचान बनाना शुरू कर दिया था । महाजन बीजेपी सेना गटबंधन की सबसी मजबुत कडी बन चुके थे । इस बीच 1985 सी का विधानसभा चुनाव मुंडे कॉग्रेस के उमीदवार से हार गये । उधर नितीन गडकरी ने भी विधानसभा चुनाव रेणापुर से लढा ओर वो भी हारे । 1982 को विधायक गंगाधर फडणवीस के निधन के बाद हुवे उपचुनावो मे 32 साल के नितीन गडकरी महाराष्ट्र विधानपरिषदपर चुने गये । यानी लोगोमेसे नही चुनकर आये गडकरी .......... इसी दोरान हुवे 1990 के विधानसभा चुनावो मे मुंडे फिर एक बार विधानसभा पर पोहचे । इस दौरान मुंडेने अपनी पहचान पिछडो के नेता के तौरपर बना ली थी , विधानसभा मे आक्रमक नेता के तौर पर उन्होने अपनी छवी भी बनाई । 1993 के मुंबई बम धमाको के बाद शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने , पर गोपिनाथ मुंडे ने पवार का नाम अंडर्वल्ड डॉन दाउद इब्राहीमे से जोडकर पुरे राज्यमे दौरा कीया । मुंडे के प्रचार से पवार खासे बदनाम हुवे ओर 1995 मे महाराष्ट्र के गद्दीपर सेना बीजेपी की सरकार बैठी । साप था की सरकार मे गोपिनाथ मुंडे को उपमुख्यमंत्री के साख गृहमंत्री पद की बक्षिसी मीली । इसी सरकार मे नितीन गडकरी सार्वजनीक निर्माण मंत्री बने । इस दौरान मुंडे ने पुरे महाराष्ट्र के कयी दौरे कीये जीसेस बीजेपी अपने साथ बहुजन समाज को जोड पायी ओर मुंडे बने लोकनेता । इसी समय मुंडे ने अपने आप को सहकार क्षेत्र से भी जोडा ।
बीजेपी सेना गटबंधनवाली सरकार मे मुंडे ने उपमुख्यमंत्री ओर गृहमंत्री के तौरपर अंडरवल्ड के खातमे पर जोर दिया , मुंबई पुलिस ने उन्हीके कार्यकाल मे कयी सारे अंडरवल्ड के गुरगो के एन्कांन्टर कीये । मुंडे की ये सबसे बडी सफलथा थी । दुसरी तरफ गडकरी विकास की राह पर महाराष्ट्र को आगे ले जा रहे थे । मुंबई पुणे एक्सप्रेस वे का काम कम किमत मे गडकरी ने शुरू कीया रेकॉर्ड टाईम मे उसे पुरा भी कीया । मुंबई के रास्तोपर गडकरी ने 55 पुलो का निर्माण किया इसी के वजहसे गडकरी पुलकरी के तौर पर भी जाने जाने लगे । गडकरी महाराष्ट्र के विकास का एक चेहरा बन गये , होशियार ओर साफ सुधरी प्रतिमा वाले नेता के तौर पर गडकरी बीजेपी के आला नेताओके पास पोहच गये । पर प्रमोद महाजन ओर गोपिनाथ मुंडे के वर्चस्ववाले महाराष्ट्र बिजेपी मे गडकरी को निर्णय प्रक्रिया से दुर ही रख्खा गया ।
आखिरकार 2004 मे नितीन गडकरी को महाराष्ट्र बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया । 2006 मे फिर एक बार नितीन गडकरी को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया । इस समय भलेही गडकरी बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष बने हो तुती तो मुंडे-महाजन की ही बोला करती थी ।

2006 मे प्रमोद महाजन का निधन हुवा ओर मुंडे का महाराष्ट्र बीजेपी से वर्चस्व कम होता गया । संघ से मुंडे की कभी करिबी नही थी इसी समय बीजेपी लोकसभा चुनावो मे मुह पर गीर चुकी थी , महाराष्ट्र विधानसभा के 2009 के चुनावो मे मुंडे को मराठवाडा इलाके के मनपसंद उमीदवारो के तीकट देने को मंजुरी दी गयी पर मुंडे केवल अपनी बेटी पंकजा के साथ मीलकर दो सीटोपर विधायक चुनकर ला पाये । दुसरी तरफ गडकरी ने विदर्भ मे कॉग्रेस को करारी हार दी थी । विदर्भ से बीजेपी को 19. विधायक दिये , गडकरी की ये सफलता मानी जाती है । इसी बीच
राजनाथ सिंह के बाद पार्टी का अगला अध्यक्ष बनने की दौड़ मे दिल्ली के डी-4 यानी सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, वैकेया नायडू और अनंतकुमार का नाम प्रमुख था और उम्मीद कि जा रही थी कि अगला भाजपा अध्यक्ष इन्ही मे से कोई होगा। इन चारो नेताओ को आडवाणी का वरदहस्त प्राप्त है और चारो नेता दिल्ली मे रहकर केन्द्र की राजनीति लंबे समय से करते आ रहे है जाहिर है राष्ट्रीय राजनीति का लंबा अनुभव इनके पक्ष की सबसे मजबूत कड़ी थी हालांकि इनमें से एक भी जनाधार वाला नेता नही है परन्तु पिछले दिनों महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष नितिन गड़करी का नाम जिस तरह से राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप मे उभर कर आए वह जरुर चौंकाने वाला रहा है, साफ थी की गडकरी सरसंघचालक मोहन भागवत के करिबी थे ओर संघ के इसी सेवक को मौका मीली बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का ।

गडकरी से सिनीयर गोपिनाथ मुंडे को ये बात चुभने वाली थी पर खुलकर इस चुभन का मुंडे ने जीक्र नही कीया । मुंडे ओर गडकरी का विवाद 2008 मे मुंबई अध्यक्ष के नियुक्ती को लेकर सबसे पहली बार उभरकर सामने आया, मुंडे गुट के मधु चव्हाण को गडकरी ने मुंबई अध्यक्ष बनाने को विरोध कीया ओर गोपाल शेट्टी को मुंबई अध्यक्ष बनाया गया । मुंडे ने इससे नाराज होकर पार्टी के सभी पदोका इस्तिफा दे दीया । आज फिर मुंडे नाराज है कारण पुणे अध्यक्ष की नियुक्ती का है ।